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आकलन (For the Student )

आकलन का क्या अर्थ है ? 

कम्प्यूटर, गणित, विज्ञान, या किसी विषय वस्तु से संबंधित है ? ऐसा नहीं है केवल तथ्यों के विषय में गणना करना ही "आकलन" नहीं है। 
"आकलन" का सही अर्थ तो स्वयं का आकलन करने से है। जब तक हम खुद का आकलन नहीं करेंगे तो हम खुद को नहीं जान पायेंगे यदि हम खुद को ही नहीं समझेंगे तो किसी  भी विषय का आकलन करने में समर्थ नहीं होंगे। हम हमेशा दुर की वस्तु के संबंध में हमेशा अनुमान लगाते रहते है गणना करते रहते है। लेकिन हम कभि खुद को नहीं परखते है अपने आपका आकलन नहीं करते है । हम तो केवल लोगों ओर अन्य चिजों को परखने में लगे रहते है । खुद के कौशल, खुद की बुद्धी, खुद की योग्यता, खुद की कुशलता का आकलन करना ही श्रेष्ठ है कि हम क्या है, हमारी विचारधारा क्या है हम कैसे है, हम कितने परिपक्व है ये सारी जानकारियां हमें  स्वयं का आकलन करने से पता चलती है । यह एक तरह से खुद को परखकर अपने पराक्रम, अपने सामर्थय का ज्ञान प्राप्त करने की कला है । जीवन में खुद का आकलन करना आवश्यक है। यह स्वयं की परिक्षा है और स्वयंम को ही मार्क्स (नंबर) देना है। आकलन सर्वप्रथम खुद का कीजिए आपको आपके सारे प्रश्नों के उत्तर मिल जायेंगे।

सफलता के मंत्र :

(1)  जीवन का संघर्ष ही सबसे बड़ी सफलता है । 
(2)  सफलता पाने के लिए र्धर्य और साहस का होना आवश्यक है । 
(3)  लक्ष्य के प्रति जुनुन एवं चाहत से सफलता का मार्ग प्रसस्त होता है । 
(4)  अपने लक्ष्य और सफलता प्राप्ती के लिये किया गया संघर्ष तथा अपने कमों से प्रेम ही सफल होने का तरिका है। 
(5)  कोई भी कार्य करें परंतु उस कार्य से हमें खुशी एवं प्रेम का होना अति आवश्यक है। 
(6)  आप लक्ष्य प्राप्ती के रास्ते में चल रहे है परंतु मार्ग में आने वाले कठिन रास्तों को पार करना उसका सामना करना और अपने लक्ष्य  प्राप्ती के लिये अडिग रहना ही सबसे बड़ी सफलता है । 
(7)  आत्मबल की शक्ति दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है । 
(8)  हम अपने उच्च विचारों से दुनिया जीत सकते है। क्योकि विचारों की शक्ति ही व्यक्ति को महान बनाती है । परिवर्तन संसार का नियम है। जीवन के हर परिवर्तन को सहजता से स्वीकार करना ही सबसे बड़ी विजय है । 
(10)  आलोचनाओं से कभि घबराना नहीं चाहिये क्योंकि आलोचना तो सीर्फ महान व्यक्ति की होती है। 
(11)   जिस दिन आप दूसरों के कर्मों पर ध्यान देना बंद कर देंगे उस दिन से आप दुनिया के महान व्यक्ति बन जायेंगे । 
(12)   मान सम्मान पद प्रतिष्ठा मनुष्य को उसके गुण एवं कर्मों के आधार पर ईश्वरी शक्ति द्वारा प्राप्त होती है । 
(13)   कर्म करना ही जीवन है। परंतु अपने जीवन और कर्म दोनो से प्रेम होना अति आवश्यक जो आपके जीवन को रौशनी और खुशियों से भर देगा । 
(14)   जो लोग गुजरे पल में जीते है वे अंधकार में जीते है वो ही सबसे बड़ा प्राकाश है क्योंकि वर्तमान जो पल है वह आपका है उस पल को आप अपने कर्मो से सुंदर बना लो । 
(15)   जय जय कार उसी व्यक्ति की होती है जिसने अपने आपको जीत लिया है । क्योंकि सबसे बड़ी विजय दूसरों को हराना नहीं, बल्कि अपने आपको जीतना है। 
(16)   विजय उसी व्यक्ति की होती है जो किसी दूसरे व्यक्ति से ईष्या नहीं करता । 
(17)   मनुष्य का सबसे बड़ा दुर्गुण किसी दुसरे से ईष्या करना है । 
(18)   यदि कोई मुसीबत में है और हमारे सहयोग से यदि उस व्यक्ति के जीवन में खुशीयां आती है तो वह सबसे बड़ी पूजा है। क्योंकि मावता ही सबसे बड़ा "धर्म" है। 
(19)   जीवन की हर सुबह नयी उम्मीद नयी सोच और नया प्रकाश लेकर आती है । 
(20)   सफलता पाने के लिये व्यक्ति का आशावादी होना अति आवश्यक है । 
(21)   लक्ष्य उद्देश्य की प्राप्ती के लिये जो विघ्न बाधाएँ आती है उन बाधाओं को पार करते समय हम जो कुछ सीखते है वह हमारा सच्चा ज्ञान होता है जो जीवन भर हमारे साथ चलता है ।