Our Story
जिंदगी का बंटवारा (Division of life)
सफलता + असफलता ( Success + Unsuccess) हमने जिंदगी को सफलता-असफलता में बांट दिया है । हमारा काम अच्छा हो
सफलता + असफलता ( Success + Unsuccess)
हमने जिंदगी को सफलता-असफलता में बांट दिया है । हमारा काम अच्छा हो गया हम पास हो गए हमारे पास नाम दौलत, शोहरत सब कुछ है तो हम सफल ( Success ) है और हम फेल हो गए, नौकरी, व्यापार कुछ भी अच्छा नहीं चला तो हम असफल (Unsucess) हो गए। जीवन को अच्छा खासा काम्पीटीशन बना दिया है और बेकार का भ्रम मन में बिठा लिया है। Nagative + Positive सफल-असफल ये सब क्या है ? ऐसे में तो सिर्फ हम अपने शरीर अपने मन अपने जीवन का केवल बंटवारा कर रहे हैं। आप इन शब्दों के जाल से बाहर आ जाइये । नकारात्मकता कहीं नहीं है । आप ही है जो सकारात्मकता को नकारात्मकता में बदलना चाहते हैं । इसलिए नींद से जाग जाओ दूसरों की देखा देखी मत करो। यदि आपके करीबी मित्र या समुदाय में किसी का चयन किसी मल्टीनेशनल कंपनी में हो गया या बिजनेस में किसी ने अच्छा कर लिया और बहुत लोग जल्द से जल्द बंगला, गाड़ी, गहने, कपड़े से सक्षम हो जाते हैं तो वो सफल है। दुनिया में Success है । आपका कहीं चयन नहीं हुआ आपके पास नौकरी, बिजनेस, बंगला, गाड़ी नहीं है तो क्या आप असफल है। आप से मेरा सीधा सवाल है यदि आप इस लेख को पढ़ेंगे या सुनेंगे तो आपका क्या जवाब होगा । प्रायः जिन लोगों के पास ये सब कुछ होता है। या जिसने ढेर सारा धन अर्जित किया है नौकरी, बिजनेस सब है वो ही सफल माने जाते हैं ये हमारा और समाज का दृष्टिकोण ( देखने का नजरिया है) ये अनुचित है मिथ्या है ।
सत्य तो कटू परंतु सबसे बड़ा सत्य यह है कि "जिस भी व्यक्ति ने खुशी से जीना सीख लिया जिसके पास संतोष रूपी धन है और जिसने जीवन के हर एक पल को हर विषम परिस्थिति में जिया है संघर्ष किया है, असल में वो ही व्यक्ति सफल है" चाहे उसके पास धन, बंगला, गाड़ी हो या नहीं हो। यदि आपने सब कुछ पा लिया है लेकिन आप खुश नहीं है आपके पास अपने लिये वक्त नहीं है तो आप कैसे सफल होंगे। सही मायनों में जिंदगी को जो लोग हर परिस्थिति में जीते हैं। जीवन का मोल समझते हैं और जिनके जीवन का संघर्ष बहुत अधिक होता है वो ही सच्चे योद्धा होते हैं। सफल होते हैं । सफलता की यही सच्ची परिभाषा है । सफलता + असफलता के चक्कर में जिंदगी का बंटवारा मत कीजिए, हमेशा आशावादी बने रहिये। कभी भी अपने आपको कमजोर मत समझिये | स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि "अपने आप को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।"