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नवरात्रि और शक्ति पूजा

ब्रह्मांड का सबसे बड़ा सत्य शक्ति है ,शक्ति के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती जीवन का आधार है शक्ति। और शक्ति से हमारा तात्पर्य मां काली ,मां लक्ष्मी ,मां सरस्वती से है जिनकी कृपा से ही यह संसार संचालित है। 

मां काली :   भय, रोग, चिंता का नाश करती है और हमें भय मुक्त जीवन जीना सिखाती है।

मां लक्ष्मी :  समृद्धि सौभाग्य रूपी धन प्रदान करती है और हमें उन्नति की ओर अग्रसर करती है। 

मां सरस्वती :  विद्या बुद्धि ज्ञान प्रदान करती है मां की कृपा से ही हम निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। 


शक्ति पूजा का महत्व :  हम व्रत उपवास पूजा तो करते हैं लेकिन कई बार इसके महत्व को नहीं समझते हम सारी विधियां करते हैं भोग प्रसाद सब कुछ लेकिन फिर भी कुछ अधूरा क्यों रह जाता है क्योंकि हम अपने अहंकार को नहीं भूल पाते बस हमारे दिमाग हमारे मन में यही रहता है हम तो सब कुछ कर रहे हैं हम सब कुछ कर सकते हैं यही सोच और विचार आपके नौ दिनों के पुण्य को नष्ट कर देता है यदि आप शक्ति के उपासक हैं तो अहंकार का त्याग कीजिए किसी भी बात का दिखावा मत करिए ।

मां से एक बालक की भांति मिले मां को एक बालक बनकर पुकारे। तीनों महाशक्ति महाकाली, महालक्ष्मी ,महासरस्वती संसार में अनेकों रूपों में विराजमान है वह हर तरह से अपने भक्तों की सहायता करती हैं रक्षा करती है लेकिन हम ही नहीं समझ पाते।

महाशक्ति का स्वरूप :  महाशक्ति तो कन्या रूप में प्रत्येक घर में विराजमान है लेकिन हम उन कन्याओं का अपमान करते हैं उनको दोष देते हैं सिर्फ नौ दिनों की पूजा से मां प्रसन्न नहीं होती प्रत्येक  कन्या के सम्मान से ही मां की प्रसन्नता है। 

 शक्ति के नौ रूप :

शैलपुत्री :  हिमालय पर्वत के यहां जन्म लेने के कारण मां शैलपुत्री कहलाई  इनसे प्रेरणा लेकर हमें अपने कार्यों के प्रति पर्वत की तरह अटल रहना चाहिए। 

ब्रह्मचारिणी :  मां ने घोर  तपस्या की और  अपने उद्देश्य को पूरा किया हमें भी मां से प्रेरणा लेकर अपने लक्ष्य को एक तपस्या की तरह पूर्ण करना चाहिए।

चंद्रघंटा :  मां अनेकों अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित है और शत्रु के संहार के लिए हमेशा तैयार रहती है। हमें भी मां से प्रेरणा लेकर अपने आलस्य रूपी शत्रु का नाश करना चाहिए 
और अपनी सफलता का शंखनाद करना चाहिए। 

कुष्मांडा :  मां अन्नपूर्णा का ही स्वरुप है इनमें अद्भुत तेज और पराक्रम है हमें मां से प्रेरणा लेकर अपनी कला और प्रतिभा को उजागर करना चाहिए।

स्कंदमाता :  मां  कुमार कार्तिकेय को गोद में लेकर बैठी है मां का यह स्वरूप हमें बहुत ही गहरी शिक्षा देता है जिस तरह मां अपने सारे दायित्व को सरलता से पूरा करती है उसी तरह हमें हर परिस्थिति का सामना करते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

कात्यायनी :   कात्यान ऋषि की आराधना से प्रकट होने के कारण मां कात्यायनी कहलाई मां का स्वरूप ज्ञान बुद्धि विद्या और चेतना का प्रतीक है इसलिए हमें भी मां से प्रेरणा लेकर अपने अंतर मन की चेतना को जागृत करना चाहिए।

कालरात्रि :  मां रोग शोक भय संकट और शत्रुओं का नाश करती है मां का स्वरूप उग्र है जो दुष्टों के लिए है वास्तव में मां कालरात्रि का रूप ममतामय है जो अपने भक्तों को अभय प्रदान करने वाला है हमें मां से प्रेरणा लेकर अपने डिप्रेशन,डर ,चिंता रूपी शत्रु का नाश करना चाहिए। 

महागौरी :  भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए मां ने बहुत ही कठिन तपस्या की आंधी तूफान वर्षा सबका सामना किया और अपने मन में आशा का दीपक जलाए रखा की महादेव उन्हें जरूर मिलेंगे हमें भी मां से प्रेरणा लेकर अपने मन में आशा का दीपक जलाए रखना चाहिए। 

सिद्धिदात्री :   मां सभी सिद्धियों को देने वाली है मां पराक्रम साहस और ऊर्जा का प्रतीक है इसलिए हमें भी मां से प्रेरणा लेकर अपने शरीर और मन को ऊर्जा से भरना चाहिए। 

मां का हर स्वरूप हमें शिक्षा देता है प्रेरणा देता है जीवन जीना सिखाता है बस हम ही नहीं पहचान पाते। यदि जीवन में बहुत सारी समस्याएं हैं तो मां के प्रत्येक स्वरूप को देखिए उनसे प्रेरणा लीजिए।

नवरात्रि :  नवरात्रि की अद्भुत महिमा है सारा वातावरण समस्त भूमंडल शक्ति के रंग में रंग जाता है तीनों लोकों चारों दिशाओं में मां के जयकारे गूंजते हैं।  लेकिन नवरात्रि का सच्चा अर्थ क्या है आए जाने।

नवरात्रि का सच्चा अर्थ शुद्धता, पवित्रता,  सफाई ,से है जितनी भी नकारात्मकता हमारे जीवन में है उनको दूर करना और सकारात्मकता पवित्रता को अपनाना यही नवरात्रि है। 
शुद्धता का तात्पर्य सिर्फ तन को साफ रखना नहीं है। मन, आत्मा ,विचार को सकारात्मक रखना ही असली पवित्रता कहलाता है और नवरात्रि हमें बुरे विचारों को छोड़कर अच्छे विचारों के साथ जीवन जीना सिखाती है। 
जीवन में हमसे कई गलतियां होती हैं लेकिन हमें उन गलतियों को सुधार कर सच्चे हृदय से अपने कार्यों को करना चाहिए। मां का भंडारा हमें दूसरों की सहायता करना सीखाता है यदि हममें सामर्थ्य है तो हमें दूसरों की मदद अवश्य करनी चाहिए।

नवरात्रि सुयोग्य ढंग से जीवन जीने की कला है।

नवरात्रि एक ज्योति रूपी प्रकाश है जो समस्त ब्रह्मांड को प्रकाशित करता है नौ दोनों का अखंड ज्योत दिव्यता का प्रतीक है जिससे हमारे जीवन से अंधकार दूर हो जाता है और हमारा जीवन रौशनी से भर जाता है।

संदेश :  आपके घर में कन्या रूपी शक्ति का जन्म होना सौभाग्य की बात है उसकी भावनाओं का सम्मान कीजिए उसे एक आजाद सोन चिरैया के जैसे विशाल नीले आकाश में उड़ान भरने दीजिए जिससे वह खुद ही अपनी मंजिल तक पहुंच जाए उसके पंख मत काटिए। अच्छी शिक्षा अच्छा वातावरण प्रत्येक कन्या का अधिकार है। 

समाज में समानता का ढोल तो बजता है लेकिन आज भी कई जगह लड़कियों को उनकी पसंद की जिंदगी नहीं मिलती उन्हें दबाया जाता है उनकी भावनाओं का गला घोंटा जाता है उन पर कई तरह  की पाबंदियां लगाई जाती है।
कई बार तो शादी विवाह भी जबरदस्ती कर दिया जाता है। 

नवरात्रि और कन्या पूजन एक जागरूकता है कि हमें लड़कियों का सम्मान करना चाहिए उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए खुश रहना एक आत्मनिर्भर जिंदगी जीना प्रत्येक कन्या का अधिकार है।

मां काली मां लक्ष्मी मां सरस्वती तीनों महाशक्ति ज्ञान बुद्धि विद्या शक्ति धन सौभाग्य आरोग्य संतोष का प्रतीक है। 

स्वामी विवेकानंद जी भी जब विचलित थे उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कोई राह नहीं मिल रही थी तब उन्होंने आदिशक्ति  से मार्गदर्शन मांगा और अपनी युवा शक्ति को पहचान लिया अपने अंतर मन की आवाज सुनी और विश्व विख्यात हुए। 

अपने लक्ष्य और उद्देश्य को आत्मज्ञान ,आत्म बल,बुद्धि ,विवेक, चेतना,जागृति,सकारात्मकता ,धैर्य ,के द्वारा ही पाया जा सकता है।

यदि करियर में, जीवन में ,कार्यों में, बहुत सारी समस्याएं हैं मन बहुत विचलित होता है और हल नहीं मिलता तो विवेकानंद जी से प्रेरणा लेकर आप भी अपनी युवा शक्ति को पहचानिए और अपनी सफलता का शंखनाद करिए।

हमारी सच्ची उन्नति और तरक्की अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता और विरासत को साथ लेकर चलने में है।

नवरात्रि  और शक्ति पूजा का सार :

 मां के विभिन्न स्वरूपों से हर लड़की को प्रेरणा लेना चाहिए और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए डरना या घबराना नहीं चाहिए अपने सपनों को पूरा करना चाहिए और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर होना चाहिए।