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श्री राम आगमन

राम :  राम इन दो अक्षरों में संपूर्ण ब्रह्मांड समाया है।

राम को परिभाषित करने का सामर्थ्य मुझमें नहीं है फिर भी मैंने श्री राम के विषय में लिखने का साहस किया है यह केवल शब्द नहीं है मेरे हृदय की कलम से लिखा हुआ मेरा प्रेम है जो प्रभु श्री राम के लिए है ।

श्री राम जन्मोत्सव :   श्री राम का जन्म तीनों लोकों चारों दिशाओं को प्रकाशित करने वाला है धरती पर प्रभु मनुष्य रूप में अवतरित हुए श्री राम जन्म से अयोध्या नगरी आनंद और हर्ष से झूम उठी रघुकुल शिरोमणि राम दशरथ नंदन बनकर पृथ्वी पर आए मां कौशल्या के गर्भ से प्रकट हुए दीन दयाला जिससे संपूर्ण ब्रह्मांड धन्य हो गया।

राम जन्म का उद्देश्य :   पृथ्वी को पाप मुक्त करना धर्म की स्थापना करना दुष्टों, अत्याचारियों का विनाश करना असहाय ,लाचारों की सहायता करना दुनिया को, समाज को मानवता और धर्म का अर्थ समझना यही राम जन्म का उद्देश्य है। 
रावण के अत्याचार से सारा संसार भय और तकलीफ से गुजर रहा था इसलिए प्रभु राम तारणहार बनकर पृथ्वी पर मनुष्य रूप में आए। 

रावण : बुराई ,अहंकार ,पाप, कुंठा, द्वेष ,ईर्ष्या ,क्रोध ,अंधकार , अधर्म का प्रतीक है।

श्री राम : प्रेम ,दया ,करुणा ,क्षमा भक्ति, शक्ति, मुक्ति मर्यादा,धर्म का प्रतीक है।

इसलिए श्री राम का जन्म उत्सव है आनंद है उमंग है उल्लास है प्रेम है।

श्री राम चरित्र :  तुलसीदास बाबा ने श्री राम चरित्र मानस की चौपाइयों में प्रभु के चरित्र उनके व्यक्तित्व का ऐसा वर्णन किया है कि मानस की चौपाइयों को पढ़ने और समझने के लिए सातों जन्म भी कम है।

श्री राम एक अलौकिक स्वर्णिम प्रकाश है जिससे सारा अंधकार नष्ट हो जाता है। श्री राम का चरित्र संपूर्ण संसार को शिक्षा देता है प्रेरणा देता है। 

त्याग, बलिदान ,आज्ञा, विश्वास, कर्मठता, प्रतिज्ञा ,अनुशासन, सत्यता, प्रेम ,क्षमा ,दया ,नीति यह सारे गुण प्रभु के चरित्र में है। 

उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन में अनुशासन का पालन किया है यहां तक की युद्ध भी धर्म, नीति  न्याय और मर्यादा में रहकर किया है।
यही कारण है कि प्रभु श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हैं ।

श्री राम का श्रेष्ठ गुण अहंकार रहित होना है। ताड़का, मारिच , सुबाहु  खर, दूषण जैसे राक्षसों को करने के बाद भी जब वह जनकपुरी विश्वामित्र के साथ आए तो उनमें तनिक भी अहंकार नहीं था ।
सीता स्वयंवर में धनुष तोड़ने के बाद भी वो विनम्र रहे।
 
विनम्रता गुरुजनों के आगे झुकना सबका सम्मान करना और मर्यादा तथा धर्म की रक्षा के लिए धनुष बाण उठाना यही रामचरित्र है ।

राम सीता विवाह :  यह विवाह पति पत्नी के सच्चे प्रेम की गौरव गाथा है क्योंकि जब  रावण ने मां जानकी का हरण कर लिया था तो प्रभु श्री राम की आंखें उनका हृदय उनका मन केवल मां जानकी के लिए व्याकुल था उनका मन उन्हें हर लता बेल फूल पत्तियों में खोज रहा था तभी तो वह कहते हैं श्यामा हिरनी तू ही बता दे जनक नंदिनी मुझे मिला दे तेरे जैसी आंखें है उनकी। और मां जानकी का हृदय  हर पल हर घड़ी श्री राम नाम पुकार रहा था।
वियोग में रहकर दूर रहकर भी वह दोनों करीब थे पास थे क्योंकि उनका प्रेम सच्चा था। 
पराई स्त्री पर बुरी नजर डालने वाला हर व्यक्ति रावण है। और अपनी पत्नी के मान के लिए  लड़ने वाला और दूसरी स्त्री के परछाई से भी दूर रहने वाला हर व्यक्ति श्री राम है। 

मां सीता की मूर्ति बनाकर यज्ञ पूर्ण किया लेकिन दूसरा विवाह नहीं किया यही श्री राम है जिनके हृदय में हमेशा लक्ष्मी स्वरूपा माता सीता विराजमान रही।

श्री राम आगमन :  श्री राम का आगमन शुभता का प्रतीक है।
श्री राम का आगमन परम सौभाग्य को देने वाला है क्योंकि वह मंगल भवन अमंगल हारी है। 
यदि हम भी चाहते हैं कि हमारे जीवन में भी राम का आगमन हो तो हमें अपने जीवन से क्लेश जलन चुगली अहंकार पाप अधर्म को दूर करना होगा और सत्य धर्म नीति न्याय के मार्ग पर चलना होगा। अपने चरित्र में मर्यादा प्रेम जैसे गुणों को लाना होगा। 
हुआ आगमन राम का। 
आस्था और विश्वास का। 
धर्म के आगाज का। 
पापियों के विनाश का। 
विजय के शंखनाद का। 
प्रत्येक रावण के हार का। 
संसार के कल्याण का। 
भक्तों के सम्मान का। 
हुआ आगमन राम का।

शिक्षा :  हमें रामायण के विभिन्न पात्रों से भी शिक्षा लेनी चाहिए। 
केवट :  केवट ने कहा तुम आए घाट हमारे हम तुम्हें पार लगाए जब आएंगे हम घाट तुम्हारे तब तुम पार लगाओ राम।

हमें भी केवट के गुणों को अपनाना होगा जिससे हम भी संसार सागर से आसानी से पार हो जाए।

अहिल्या : वर्षों से पाषाण बनी रही अहिल्या प्रभु श्री राम के चरणों का स्पर्श पाकर पुनः नारी बन गई ।

यदि हमारा हृदय और मन भी पाषाण बन गया है बहुत ज्यादा दुख संताप है तो अपने मन हृदय में श्री राम चरण का स्पर्श कराएं और दर्द तकलीफों से मुक्ति पाए।

भरत :  प्रभु श्री राम की पादुका को भरत कंठ से लगाए रहते हैं और नंदीग्राम में एक छोटी सी कुटिया में रहते हैं और और राज्य को संचालित करते हैं बड़े भाई के प्रति ऐसा प्रेम और सम्मान अद्भुत है। 

हमें भरत से सीखना चाहिए कि अपने बड़ों का सम्मान किस तरह से किया जाता है उनके अधिकारों की रक्षा कैसे की जाती है। 

विभीषण :  जैसे ही विभीषण प्रभु श्री राम की शरण में जाता है प्रभु उसे तिलक करते हुए लंकेश कहकर पुकारते हैं क्योंकि विभीषण बुराई में रहकर भी अच्छाई का प्रतीक था।

विभीषण से हमें सीखना चाहिए हमारे आसपास का वातावरण जैसा भी हो हमें अपनी भावनाएं सच्ची रखनी चाहिए और सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। 

जटायू :   जटायु ने नारी सम्मान के लिए रावण जैसे बलशाली से लोहा लिया और सीता माता की रक्षा करते हुए अपने प्राण त्याग दिए। 

हमें भी जटायु से प्रेरणा लेकर नारी सम्मान और नारी रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

शबरी :  शबरी वर्षों तक प्रभु श्री राम की प्रतीक्षा करती रही की एक दिन राम आएंगे और प्रभु श्री राम आए भी और शबरी मां के झूठे बेर भी खाए ।

हमें भी मां शबरी से शिक्षा लेकर अपने हृदय में हमेशा आशा का दीपक जलाए रखना चाहिए और उम्मीद को कभी नहीं छोड़ना चाहिए जिससे हर कार्य में हम भी सफल होंगे।

हनुमान जी :  हनुमान जी तो संपूर्ण राम कथा के सूत्रधार है। वे बल बुद्धि विवेक ज्ञान विद्या साहस पराक्रम के भंडार है उनकी भक्ति निस्वार्थ है।  उनके हृदय में राम बसे हैं इसलिए वह चिरंजीवी कहलाए। 

हनुमान जी से हमें प्रेरणा लेकर श्री राम दरबार को अपने हृदय में बसाना चाहिए जिससे हमारा हर कार्य सरलता से होगा। 
जैसे प्रभु श्री राम का नाम लेकर हनुमान जी सौ योजन समुद्र को लांघ गए वैसे ही हमें भी श्री राम का नाम हमेशा स्मरण करना चाहिए जिससे हम भी इस संसार की तकलीफों से पार हो जाए। 
   
श्री राम के जीवन में आज्ञा का विशेष महत्व है पिता की आज्ञा से 14 वर्ष के वनवास को चले गए एक बार भी पलट कर सवाल नहीं किया गुरुजनों तपस्वियों  श्रेष्ठ जनों की आज्ञा उनके लिए शिरोधार्य है। 

यदि हमने भी आज्ञा के सही महत्व को समझ लिया तो कितनी बड़ी समस्या क्यों ना आ जाए हम उसे पार कर जाएंगे। 

धन्य हुआ है कलियुग। 
आ गया है श्री राम युग। 
मंगल गाओ मृदंग बजाओ।
दीप जलाओ उत्सव मनाओ। 
हटा अंधेरा हुआ सवेरा। 
रोशनी छाई चारों ओर। 
तरंग हृदय में उमंग हृदय में। 
आस्था के रंग में रंग जाओ। 
होली दिवाली आज मनाओ।
गाओ रे गाओ राम धुन गाओ।
हनुमंत सी भक्ति अपनाओ।
राम राज्य में सब सुख पाओ। 
मिलके सब हरि गुण गाओ।
हे रे सखी आनंद में झूम जाओ। 
तुलसी भजन के सागर में गोते लगाओ। 
क्योंकि आ गया है राम युग प्रेम मग्न हुआ कलियुग।
धन्य हुआ कलियुग धन्य हुआ कलियुग।

प्रभु श्री राम का संपूर्ण जीवन एक आदर्श है प्रेरणा है। 
जीवन में सफलता की सच्ची कुंजी लीडरशिप है,नेतृत्व क्षमता है।
 साहस और पराक्रम के साथ प्रभु का यह अद्भुत गुण है जिसे हमें भी अपने जीवन में धारण करना चाहिए जिससे हमें सफलता निश्चित ही मिलेगी।

जीवन में बहुत दर्द दुख और तकलीफ है लगता है मानो सब कुछ खो गया है अब क्या करें तो हार मत मानिए प्रभु श्री राम के चरित्र को अपने जीवन में आत्मसात करिए ।
उन्होंने कठिन से भी कठिन परिस्थिति में धर्म नीति न्याय मर्यादा और सत्य का साथ नहीं छोड़ा और रावण जैसे अहंकारी का अंत करके विजयी हुए।

हमें भी प्रभु श्री राम से प्रेरणा लेकर हर परिस्थिति में सत्य और मर्यादा का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए जिससे हम भी अपने चिंता ,तनाव, डिप्रेशन ,दुःख ,दर्द, तकलीफ रूपी रावण पर आसानी से विजय प्राप्त कर सकते हैं।

राम आगमन और राम जन्मोत्सव करोड़ों सूर्य की आभा की तरह है जिसका वर्णन करने का मुझमें सामर्थ्य नहीं है । लेकिन श्री राम का गुणगान करना राम धुन गाना यही मेरा जीवन है। 

सार :   प्रेम ही राम कथा का सार है। प्रेम से ही यह संसार है।