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जीवन संघर्ष

जीवन संघर्ष शब्द को सुनते ही थकान होने लगती है। हम डर जाते हैं। अपने आप सब कुछ कठिन लगने लगता है।
हमारे लेख का शीर्षक ही अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति जीवन के संघर्षों से जूझ रहा है।
वास्तव में जीवन संघर्ष क्या है?
आइए जानें।

एक बड़ी-सी दुनिया और इसमें जीवन-व्यापन करने के लिए सब अलग-अलग तरह का पुरुषार्थ करते हैं और अपना तथा अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं और अपने सामाजिक तथा पारिवारिक जीवन की पूर्ति करते हैं। परंतु हमारे इस लेख का महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन या कार्यशैली से खुश नहीं है और हर किसी के जीवन में असमानता है और प्रत्येक व्यक्ति का जीवन लक्ष्य प्राप्ति तथा अपने सपने को पूरा करने के संघर्ष में बीत रहा है और कोई भी व्यक्ति हर तरह से परिपूर्ण नहीं है। किसी के पास धन-दौलत होते हुए भी वह अनेक तरह की लालसा रखता है और जो ठीक-ठाक कमाता है, उसका जीवन जोड़-तोड़ के संघर्षों में बीतता है। गरीब व्यक्ति का गुजारा तो भगवान भरोसे होता है।
इसका संपूर्ण स्पष्ट अर्थ यह है कि सभी का जीवन पूर्ण रूप से संघर्षों से भरा हुआ है। इसे और अधिक परिभाषित करेंगे।

यह तो जीवन का एक ही पहलू था। दूसरे पहलू की चर्चा अब हम इस प्रकार करेंगे, जिसका हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। वह "भावना" है।
कर्म, रिश्ते, नाते, संबंध, अभिलाषा, विवाह, संतान, प्रेम, सपने, शिक्षा, करियर, बिजनेस, नौकरी—दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति की अलग-अलग भावनाएँ हैं, इच्छाएँ हैं, सपने हैं। प्रत्येक व्यक्ति की जीवन से कई आशाएँ हैं, उम्मीदें हैं। दुनिया का हर व्यक्ति सब कुछ पाना चाहता है। कोई कुछ खोना नहीं चाहता। सभी व्यक्ति अपने मन तथा भावनाओं के अधीन हैं और उसी के अनुसार वे अपने कार्यों को गति देते हैं।
और सभी लगातार अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं,
जिसे सही मायनों में "जीवन संघर्ष" कहते हैं।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। सर्वप्रथम वह पारिवारिक-सामाजिक उत्तरदायित्वों को निभाता है। परिवार तथा समाज द्वारा बनाए गए अनेक संस्कारों का पालन करता है।
मनुष्य के जीवन का संघर्ष तो जन्म से ही प्रारंभ हो जाता है।
जैसे: बाल्यावस्था, युवावस्था, वृद्धावस्था।

बाल्यावस्था: धीरे-धीरे अपनी उंगलियाँ खोलना, पैरों को हिलाना, चलने की कोशिश करना, सुनने, समझने, देखने के लिए संघर्ष करना।
युवावस्था: शिक्षा ग्रहण करना, अपनी बौद्धिक क्षमता तथा तर्क-क्षमता को परखना और कई तरह के शारीरिक-मानसिक परिवर्तनों का सामना करना।
युवावस्था का संघर्ष सबसे बड़ा संघर्ष होता है, क्योंकि इस अवस्था में कर्म की प्रधानता होती है कि हमें किस तरह का पुरुषार्थ करना है, हमें कौन-सा करियर चुनना है, हमें क्या करना है, कैसी शिक्षा लेनी है, कहाँ तक शिक्षा लेनी है। और युवावस्था में रिलेशनशिप के लिए भी संघर्ष करना बहुत मुश्किल होता है। सारी चुनौतियाँ एक साथ आकर सामने खड़ी हो जाती हैं। एक साथ उन चुनौतियों का कैसे सामना करें? यदि जीवन के इस पड़ाव में कोई गलती हो जाती है, कोई गलत निर्णय ले लेते हैं, तो जीवन-पर्यंत उसे भुगतना पड़ता है।
और आज के दौर में प्रतियोगिता इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि प्रत्येक युवा उससे जूझ रहा है।
वृद्धावस्था: इस अवस्था में तो मन और तन दोनों का संघर्ष चलता है, क्योंकि आए दिन स्वास्थ्य-संबंधी समस्याएँ, फिर उसका उपचार और वृद्धावस्था में मन के विकारों का वर्णन करना भी कठिन है।

हमने जीवन के तीन चरणों के संघर्ष के बारे में बताया, लेकिन इसके अलावा जन्म से लेकर मरण तक व्यक्ति का संघर्ष चलता है। इस सत्य को सभी को स्वीकार करना चाहिए।
आइए और एक महत्वपूर्ण बिंदु पर प्रकाश डालेंगे: आपदा—यह कठोर और गहन सत्य है।
मान लो, किसी व्यक्ति का जीवन अच्छा चल रहा है। उसे सब कुछ सही समय पर मिल गया और वह बहुत खुश भी है। लेकिन "आपदा" परेशानी कभी भी बता कर नहीं आती। वह किसी भी रूप में सामने आ सकती है, जैसे बीमारी, महामारी, तनाव, बाढ़, सूखा, बिजनेस का घाटा, नौकरी का छूटना। अनेकों तरह की आपदाएँ हैं। इन आपदाओं से निपटने और इनका सामना करने के लिए व्यक्ति को जी-तोड़ संघर्ष करना पड़ता है।
और प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में ऐसा पड़ाव आता ही है।

प्यार, शादी, विवाह, रिलेशनशिप, करियर, बिजनेस, जिंदगी, हँसी, खुशी, परिवार—हमारे कितने सारे सपने हैं और हम हर वक्त सोचते हैं कि जल्द से जल्द हमारे सपने सच हो जाएँ। लेकिन सब कुछ पाने के लिए कितना प्रयास करना पड़ता है। हर वक्त जीवन के संघर्षों से लड़ना पड़ता है।
जिनके जीवन का संघर्ष बहुत अधिक होता है, वही सच्चे योद्धा कहलाते हैं।

अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करना अच्छी बात है, लेकिन कभी भी जिंदगी से हार जाना, डर जाना, टूट जाना, बिखर जाना—यह सही नहीं है। हमारे जीवन का एकमात्र उद्देश्य जीवन को खुशी से जीना होना चाहिए। हमें हमेशा जीवन को खुशी से जीने के लिए संघर्ष करना चाहिए। जीवन से प्रेम करना चाहिए। जीवन जितना कठिन है, उतना सरल भी है। हर परिस्थिति को हँसकर स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि समय परिवर्तनशील है। कुछ भी स्थायी नहीं है।
हम हमेशा गणना करते रहते हैं कि हमने क्या खोया, क्या पाया। इस चीज से ऊपर उठकर हमें खुशी से जीने के बारे में सोचना चाहिए। यदि कुछ खो भी गया है, तो भी जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।

स्टीफन हॉकिंग, भौतिकी के महान वैज्ञानिक, जिन्होंने दुनिया को जीवन संघर्ष की सही परिभाषा से अवगत कराया।
उनके पूरे शरीर ने काम करना बंद कर दिया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वे लगातार अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते रहे। उन्होंने जो चाहा, ऐसी शारीरिक अवस्था में भी उसे पूरा किया। वह पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा हैं।

सार: जीवन संघर्ष तो व्यक्ति के जन्म से लेकर मरण तक चलता है। इसे हमें सहजता से स्वीकार करना चाहिए और परिस्थिति कैसी भी हो, हमें उसका सामना करना चाहिए।
खुशी, प्यार, सम्मान से जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए।
यदि आपको लगता है कि हमारे जीवन में बहुत ही अधिक संघर्ष है, हमें सफलता नहीं मिल रही, हम क्या करें, हमारे सपने पूरे नहीं हो रहे, शादी, करियर, सब कुछ में इतना विलंब क्यों और लोगों को तो जल्दी मिल जाता है, हमारे साथ ऐसा क्यों—यदि ऐसे सवाल आपके मन में आते हैं, तो ऐसे प्रश्नों का केवल एक ही उत्तर है कि सबको समय पर सब कुछ नहीं मिलता। यह बात हमेशा याद रखिए। इसे स्वीकार कीजिए। जो आपका है, वह आपको जरूर मिलेगा। बस प्रयास करना मत छोड़िए और उदासी-चिंता को अपने जीवन से दूर रखिए।
जीवन संघर्ष एक खट्टा-मीठा अनुभव है, जो हमें बहुत कुछ सिखाता है।