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अध्यात्म और समाज
शुभ उपहार प्रायः अध्यात्म शब्द सुनते ही लोग इसे तपस्या और साधना से जोड़ने लगते हैं। और सोचते
प्रायः अध्यात्म शब्द सुनते ही लोग इसे तपस्या और साधना से जोड़ने लगते हैं। और सोचते हैं अध्यात्म तो केवल साधु संतों के लिए है भला हमारा अध्यात्म से क्या जाता । अध्यात्म के विषय में बहुत सारी भ्रांतियां है इसलिए मैं हमारी पत्रिका के माध्यम से अध्यात्म का सही अर्थ समझाना चाहती हूं और सामाजिक जीवन में अध्यात्म की भूमिका को परिभाषित करना चाहती हूं।
• अध्यात्म का अर्थ
• अध्यात्म और दैनिक दिनचर्या
• अध्यात्म और विचार
• अध्यात्म और आचरण
• अध्यात्म का स्वरूप
• जीवन में अध्यात्म का महत्व
• अध्यात्म और समाज
• अध्यात्म और आधुनिकी समाज
• अध्यात्म और शक्ति
अध्यात्म का अर्थ - अध्यात्म का सही अर्थ संसार से परे या विरक्त होना नहीं है बल्कि संसार में रहकर "ईश्वर की शक्ति" को महसूस करना है और अपने मन और आत्मा को भी ऊर्जावान बनाना "अध्यात्म" है।
अध्यात्म प्रत्येक व्यक्ति के लिए हैं। इसे पहाड़ों, जंगलों-साधु संतों या जप-तप से नहीं जोड़ना चाहिए क्योंकि अध्यात्म जटिल नहीं है। एक सामान्य व्यक्ति भी आध्यात्मिक हो सकता है। अध्यात्म सूर्य रूपी प्रकाश है जिससे हमारा जीवन प्रकाशित होता है। अध्यात्म तो सदियों से प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में और समाज में व्याप्त है। पर हम ही अध्यात्म को पहचान नहीं पाते, अध्यात्म का सही अर्थ नहीं समझ पाते और हम खुद ही निर्णय भी ले लेते हैं कि हम आध्यात्मिक नहीं है। आध्यात्मिकता तो हमारी मूल प्रकृति हमारी जड़ है। लेकिन विभिन्न प्रकार की भ्रांतियों के चलते हम हमेशा अपने मूल रूपी अध्यात्म को नकारते हैं।
अध्यात्म और दैनिक दिनचर्या - हमारी दैनिक दिनचर्या में भी अध्यात्म है और हमें पता नहीं चलता। सुबह जल्दी उठना थोड़ा बहुत व्यायाम, योग स्नान करना, ईश्वर को याद करना अच्छा पौष्टिक भोजन खाना भी एक प्रकार से अध्यात्म है।
अध्यात्म और विचार - एक अच्छा और श्रेष्ठ विचार भी अध्यात्म है क्योंकि विचार ही जिसके द्वारा हम अपना हर कार्य करते हैं। एक अच्छा विचार हमें सतकर्म की ओर ले जाएगा और एक बुरा विचार पापकर्म की ओर। इसलिए हमें हमारे विचारों को शुद्ध रखना चाहिए।
अध्यात्म और आचरण - आचरण आचार व्यवहार में भी अध्यात्म। दूसरों के प्रति आदर का भाव रखना सभी वरिष्ठों तथा गुरूजनों का सम्मान करना और किसी निर्धन व्यक्ति की सहायता करना भी अध्यात्म है।
अध्यात्म का स्वरूप - अध्यात्म का सच्चा स्वरूप गुणों का श्रृंगार है। अच्छे गुणों से सुशोभित होना और गुणरूपी श्रृंगार करना भी अध्यात्म है।
जीवन में अध्यात्म का महत्व - जीवन में अध्यात्म का अत्याधिक महत्व है। अध्यात्म के द्वारा ही हम अपने जीवन को श्रेष्ठ बना सकते हैं। आध्यात्मिक जीवन का सच्चा अर्थ परोपकार करना है।
अध्यात्म और समाज - हम समाज में रहते हैं समाज के नियमों का पालन करते हैं। यदि हमारे जीवन में अध्यात्म है तो हम समाज के विकास में अपना योगदान देंगे।
अध्यात्म और आधुनिक समाज - आधुनिक समाज की ये धारणा बनती जा रही है कि जो आध्यात्मिक है वो आधुनिक नहीं है और आध्यात्मिक और आधुनिकता में कैसे संतुलन बनाये ऐसा सोचना केवल एक भ्रम है। क्योंकि हमने पूर्व में स्पष्ट किया है कि अध्यात्म कोई जटिल प्रक्रिया नहीं है। अध्यात्म तो सदियों से व्यक्ति के चरित्र और व्यक्तित्व में बसा है। आधुनिक समाज का आधार भी अध्यात्म है।
अध्यात्म और शक्ति - अध्यात्म का गहरा संबंध शक्ति से है। क्योंकि अध्यात्म से ही हमें शक्ति मिलती है। आध्यात्मिक जीवन शैली ही हमारी ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत है। सही अर्थों में अध्यात्म प्रत्येक व्यक्ति की दिनचर्या, जीवनशैली, आचार, विचार में विद्यमान है। हमें आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए कोई कठोर तपस्या नहीं करनी पड़ती है। सांसारिक जीवन में रहते हुए अच्छे आचरण के साथ जीवन व्यतीत करना ही अध्यात्म का सच्चा स्वरूप है। अध्यात्म एक प्रकार से प्रेरणा है जो हमें संतुलित जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। सच्चा अध्यात्म अपने मन और आत्मा में ऊर्जा महसूस करना खुशी महसूस करना है।
सतकर्म करते हुए आधुनिक समाज में जीवन व्यतीत करना खुश रहना ही अध्यात्म है।